Tuesday, March 11, 2008

Surya Kiran ke Swarna Vihangam, song lyric from Chanakya serial

सूर्य किरण के स्वर्ण विहंगम नभ में गाते जाते हैं
मन के साधे पूरी होंगी यह सन्देश सुनाते हैं
सूर्य किरण के स्वर्ण विहंगम...

युग युग की प्यासी धरती को जैसे बूंद मिले जल की
आँखों के हर्षित आंसू में गल जाती चिंता कल की
आब तो भावी भी अपना है पवन झकोरे गाते हैं
सूर्य किरण के स्वर्ण विहंगम नभ में गाते जाते हैं ...

मन को कैसे बांध रखउन मैं चंचल हो आया कितना
पाँव ना टिक पाते सपनो पर पंखों में उछाह है इतना
पायल के घुंघरू उमंग से जो छुम छ न न छन गाते हैं
सूर्य किरण के स्वर्ण विहंगम नभ में गाते जाते हैं ...

आज धरा के हथेलियों पर अम्बर गीत लिखेगा रे
फूलो के अक्षर अक्षर में रथ को मदन दिखेगा रे
वर्षा होगी शुभ मंगल की सब तो यही मानते हैं

सूर्य किरण के स्वर्ण विहंगम नभ में गाते जाते हैं ...
मन के साधे पूरी होंगी यह सन्देश सुनाते हैं

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